कौन-कौन सी औरतें जहन्नम में जायेंगी। Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

Kaun Kaun si auraten jahannam me jayengi

एक हदीस पाक हाफ़िज़ शम्सुद्दीन ज़हबी रहमतुल्लाह अलैहि ने अपनी किताब ‘अल्-कबाइर’ में नक़ल फ़रमाई है। जिसमें पता चलता है कि कौन – कौन सी औरतें जहन्नम में जायेंगी।

ज़रा तवज्जोह से बात सुनिएगा और उन गुनाहों से बचिएगा। ताकि अल्लाह रब्बुल्- इज्जत जहन्नम से महफूज़ फ़रमा दें।
एक बार हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु और सयैदा फातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु अन्हा दोनों ने इरादा किया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ियारत के लिए जायें।

चुनाँचे अल्लाह के महबूब सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए । जब आकर देखा कि नबी पाक (स.व)की आँखों से आँसू जारी हैं, रो-रोकर आँखें सुर्ख़ हो चुकी हैं। दोनों बड़े हैरान हो गये।

दोनों ने अर्ज़ किया, ऐ अल्लाह के महबूब ! आप क्यों रो रहे हैं? किस चीज़ ने आपको ग़मगीन कर दिया? किस चीज़ ने आपको रुला दिया, कि आपकी आँखें सुर्ख़ हो चुकी हैं रो-रोकर ।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः मेरी प्यारी बेटी फातिमा ! मैं इस वक़्त बैठा था। मुझे याद आ गया जब मैं मेराज पर गया था तो मैंने अपनी उम्मत की कुछ औरतों को जहन्नम में अज़ाब होते देखा हुए था। मुझे ख़्याल आ गया और इस वजह से मेरी आँखों में आँसू आ गये।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

पूछा मेरे माँ-बाप आप पर कुरबान हों, बता तो दीजिए कि वे कौन-कौन सी औरतें हैं । नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि मैंने पहली औरत को जहन्नम में देखा वह अपने बालों के ज़रिए से जहन्नम में लटकी हुई थी। आग के अन्दर जैसे मुर्ग को सलाख़ के अन्दर पिरो कर भूनने के लिये लटका देते हैं। बीवी के हुक़ूक़ जो मर्द के जिम्मे है।

उस औरत को सर के बालों के ज़रिए लटका दिया गया था। तो यह लटकी हुई थी और उसका दिमाग़ हन्डियो की तरह उबल रहा था। और उसका जिस्म जल रहा था।

अब ज़रा सोचने की बात है कि अगर किसी औरत को बालों से पकड़ कर खींचा जाए उसको ऐसा लगेगा कि जैसे बालों से खोपड़ी की चमड़ी उधड़ जाएगी। इतनी तकलीफ होती है ज़रा से बाल खींचने से । जब औरत बालों के बल लटका दी जाएगी फिर उसका क्या हाल होगा। और फिर उसको इतनी गर्मी महसूस होगी कि उसका दिमाग़ हन्डियो की तरह उबल रहा होगा।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया यह वह औरत होगी जो दुनिया के अन्दर पर्दे का ख़्याल नहीं करती होगी। उसको बन-संवर कर बाहर निकलने का शौक होता होगा। अच्छे-अच्छे फैशन वाले कपड़े पहनकर यह अजनबी गैर-मेहरमों को दिखाती होगी। अपने तौर पर यह अपने हुस्न की ज़कात निकालती होगी।

लेकिन पता उसको कियामत के दिन चलेगा कि मैंने कितना बड़ा गुनाह किया । इसलिए यह वह औरत है जो दुनिया में पर्दे का ख़्याल नहीं रखती थी।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

एक बात ज़ेहन में रख लीजिए। एक चीज़ ‘सतर’ (छुपाने की जगह ) होती है। एक चीज़ पर्दा होता है। औरत के लिए चेहरे, हाथों और पाँव के अलावा बाकी सारा जिस्म सतर में शामिल है। इसलिए नमाज़ की हालत में इस सबको छुपाना औरत के लिए ज़रूरी होता है।

अगर औरत के चेहरे, हाथों की हथेलियाँ और पाँव के अलावा जिस्म का कोई भी हिस्सा नमाज़ के अन्दर थोड़ी देर खुला रह गया तो उस औरत की नमाज़ हरगिज़ कबूल नहीं होगी। कई औरतों को देखा है कि नमाजें भी पढ़ती हैं मगर उनकी कमीस के बाज़ू आधे होते हैं। और बाजू नंगे नमाज़ हरगिज़ नहीं होती।

कई शलवारें पहनती हैं टखनों। से ऊँची कर लेती हैं, यह नया फ़ैशन निकल आया। नमाज़ बिल्कुल नहीं होती। कई इतना बारीक दुपट्टा पहनती हैं कि बाल साफ नज़र आ रहे होते हैं। उनकी नमाज़ नहीं होती।

सतर का क्या मतलब है?

सतर का मतलब यह है कि नमाज़ के अन्दर अपने आपको इस तरह मोटे कपड़े में छुपा लेना कि चेहरे, हाथों और पाँव के सिवा जिस्म का कोई भी हिस्सा नज़र न आ सके । यह इनसान का सतर है और इसको छुपाना नमाज़ में ज़रूरी है। सतर के अलावा एक पर्दा होता है । पर्दा औरत के जिस्म के तमाम हिस्सों का ग़ैर मेहरमों से ज़रूरी है।

इस लिए फरमाया :-ऐ सहाबा ! जब तुम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बीवियों से कोई चीज़ माँगना चाहो तो तुम पर्दे के पीछे से माँगो । तो गोया मेहरम अजनबी से पूरे जिस्म को पर्दे में रखना यह पर्दा कहलाता है। यह हिजाब कहलाता है। तो सतर होता है नमाज़ में, और हिजाब होता है ग़ैर-मेहरमों से तो ग़ैर-मेहरमों से अपने आपको छुपाना चाहिए। औलाद की तरबियत कैसे करें?

औरतें जब घर में रहें तो अपने भाईयों के सामने, अपने बेटों के सामने, अपने चेहरे, हाथ पाँव को खोल सकती हैं। लेकिन जब बाहर निकलना हो ग़ैर-मेहरमों और अजनबियों के अन्दर से गुज़रना हो तो फिर सर से लेकर पाँव तक अपने जिस्म को छुपाना ज़रूरी है। अगर न छुपाया तो फिर उसको इस पर सजा मिलेगी।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

हदीस पाक में आता है कि बेपर्दा औरत जब घर से बाहर निकलती है तो उस वक़्त से अल्लाह के फ़रिश्ते उस पर लानत करना शुरू कर देते हैं। जब तक लौटकर घर वापस नहीं आ जाती अल्लाह के फ़रिश्ते उस पर लानत करते रहते हैं।

फिर औरतें कहती हैं- घर में सुकून नहीं, शौहर तवज्जोह नहीं देता, औलाद बात नहीं मानती, कारोबार अच्छा नहीं। ओ खुदा की बन्दी ! जब तुझ पर अल्लाह के फ़रिश्तों की हर वक्त लानत रहती है तो तेरी ज़िन्दगी में बरकतें कहाँ आयेंगी।

यह इसी लानत का नतीजा होता है कि घरों में परेशानियाँ होती हैं, दिल को सुकून नहीं होता। बीमारी पीछा नहीं छोड़ती, हर तरफ से ज़िल्लत और रुस्वाई होती है। यह अल्लाह रब्बुल्-इज्ज़त के हुक्म को तोड़ने का नतीजा है।

लिहाज़ा खुशनसीब ( किस्मतदार ) हैं वे औरतें जो पर्दे का एहतिमाम ( पाबन्दी और ख़्याल ) करती हैं। ये दुनिया में पर्दे का एहतिमाम करेंगी अल्लाह रब्बुल्-इज़्ज़त कियामत के दिन उनके क़सूरों पर रहमत के पर्दे की चादर डाल देंगे। उस दिन पता चलेगा कि कितना बड़ा अज्र इसका मिला।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

लिहाजा जो औरत नंगे सर बाज़ार में फिरती है, बाल लोग देखते हैं। चेहरा देखते हैं। कई एक तो सीना खोलकर चलती हैं और आजकल तो बहुत ही बेपर्दगी बढ़ती जा रही है। ऐसी तमाम बेपर्दा औरतों के लिए फ़रमाया कि जहन्नम के अन्दर उनको बालों के ज़रिये से लटका दिया जाएगा।

अब जरा तसव्वुर तो करें कि किसी औरत के बालों को अगर हाथों में पकड़ कर लटका दिया जाए तो वह तो आधा मिनट भी नहीं लटक सकती। उसको लगेगा कि मेरे बाल सारे के सारे खोपड़ी से उखड़ जायेंगे। मेरी चमड़ी उधड़ जाएगी।

तो अगर जहन्नम के अन्दर हमेशा-हमेशा बालों के ज़रिए लटकना पड़ा आग में जलना पड़ा और दिमाग़ को ऐसा उबाल देंगे, इसलिए कि उनके दिमाग में फ़साद था । उनके दिमाग का कसूर था, यह इस वेपर्दगी को कुछ समझती ही नहीं थीं। इसलिए अल्लाह तआला दिमाग को इतना गर्म करेंगे कि दिमाग़ उनका खौल रहा होगा।

तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि यह वह औरत है जो पर्दे का ख्याल नहीं करती थी। आजकल की बच्चियाँ अपने कज़िनों (रिश्ते के भाईयों) से तो पर्दे की कुछ परवाह ही नहीं करतीं, उनको तो समझती हैं कि ये तो भाई हैं। हरगिज़ ऐसी बात नहीं! अल्लाह रब्बुल्-इज़्ज़त का फरमान है।

जहाँ तक मेहरम हैं वह भाई की बात है। बाकी चचाज़ाद, फूफीज़ाद, मामूँजाद ये सब के सब ना मेहरम हैं, इनसे अपने आपको पर्दे में रखना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि ऐसे घर में रहती हैं कि शौहर भी है, इकट्ठा ख़ानदान (Joint Family) है। देवर वगैरह भी हैं।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

वह तो गैर मेहरम होते हैं। ऐसी औरतों को चाहिए कि वे अपने चेहरे के ऊपर दुपट्टे को इस तरह रखा करें जिस तरह घूँघट होता है। और अपने देवरों से अगर बात करनी भी पड़ जाए तो इस तरह निगाहें नीची करके सर झुका कर पर्दा आगे हो उनसे बात करें।

आप मिसाल सोच लीजिए। जब इनसान किसी से नाराज़ होता है। तो वह अगर उससे बात भी करता है तो उसकी तरफ देखता भी नहीं, उसको अपना चेहरा भी नहीं देखने देता। बस बात कर लेता है।

जैसे किसी से नाराज़गी हो और इनसान का उसके साथ जैसा बर्ताव होता है वैसा ही औरत को चाहिए कि अल्लाह तआला ने इसे गैर मेहरम कहा इसलिए उसका इससे अल्लाह रब्बुल – इज्जत की वजह से यह मामला है। यह अपने चेहरे के ऊपर इस तरह दुपट्टा कर ले कि वह घूँघट की तरह ज़रा बढ़ा रहे।Kaun Kaun si Auraten Jahannam me jayengi.

इसी तरह घर के काम करती रहे तो दूसरा मर्द उसके चेहरे की तरफ नहीं देख सकेगा। मर्दों को चाहिए कि वे भी ऐसी औरतों के चेहरों को न देखें और औरतों को चाहिए कि वे भी मर्दों के सामने अपने चेहरे को मत खोलें । घूँघट से चेहरे को ज़रा पर्दे में रखने की कोशिश करें और फिर अल्लाह रब्बुल्-इज़्ज़त से दुआयें माँगें कि ऐ परवर्दिगार !

हमारे कसूरों को माफ़ फ़रमा दे। लेकिन ये वे गैर- मेहरम हैं जो घर के अन्दर होते हैं। जो घर के बाहर हैं उनसे तो सौ फीसद (100%) पर्दे में रहना चाहिए । यहाँ तक कि एक मिली मीटर जिस्म को भी न देख सकें । औरत का यह अच्छा पर्दा है कि इनसान दूसरों से बिल्कुल पर्दे में रहे वरना क़ियामत के दिन यह सज़ा मिलेगी।सतर और परदे का हुक्म।

अल्लाह रबबूल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे,हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को रसूल-ए-करीम (स.व) से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,आमीन।

इन हदीसों को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।

क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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