इस्लाम की खूबसूरत बातें। Islam ki Khoobsurt Bate.

Islam ki khoobsurat bante

इस्लाम नाम है ज़िन्दगी में हर जगह चलते फिरते, सोते जागते खाते पीते, लेन देन करते हम हर वक्त ख़्याल रखें कि इसमें अल्लाह तआला का क्या हुक्म है और हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसको किस तरह किया है।

क़ुरआन पाक में इस्लाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए अल्लाह तआला ने बहुत से अहकाम दिए हैं, जब तुम खुद क़ुरआन मजीद समझ कर पढ़ोगे तो मालूम हो जाएगा सिर्फ चंद अहकाम यहां नक्ल किए जाते हैं।तर्जुमा:- और अपना वादा पूरा किया करो, बिला शुब्हा वादा के मुअल्लिक तुम से पूछ होगी ।(सूरतुल बनी इस्राईल प. 15 आयत 34 )

हम वादा को कुछ समझतें ही नहीं कि यह कोई गुनाह या बुरी बात नहीं, अल्लाह तआला इसके मुतअल्लिंक कितनी सख्त ताकीद कर रहे हैं कि वादा पूरा किया करो इसकी पूछ होगी, उम्मीद है कि अब सब लोग इसका ख़्याल रखेंगे और आईंदा वादा किसी से सोच समझ कर करना चाहिए और जब वादा करें तो उसको पूरा करना ज़रूरी है। Islam ki Khoobsurt Bate.

नाप तौल पूरी करके देनी चाहिए, कम नाप तौल कर देना बहुत सख्त गुनाह है, आप हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम के किस्से में पढ़ चुके हैं कि उनकी उम्मत इसलिए तबाह कर दी गई कि वह लोग नाप तौल में कमी किया करते थे अल्लाह तआला इसके मुतमल्लिक क़ुरआन मजीद में फरमाते हैं:- और जब नाप तौल करो तो पूरा करो और सहीह तराजू से तौल कर दिया करो।और दूसरी जगह कम तौलने वालों के लिए दोज़ख़ की शहादत दी अल्लाह तआला फ़रमाते हैं। दीने इस्लाम की कुछ खास नसीहत ।

तर्जुमा ख़राबी है घटाने वालों की वह कि. जब नाप लें लोगों से पूरा कर लें और जब नाप दें उनको या तौल दें तो घटा कर दें क्या ख़्याल नहीं रखते वह लोग कि उनको उठना है एक बड़े दिन में ।(सूरतुल मुतफ़्फेफीन प. 30 आयत 1 )

दूसरों से हंस कर या मुस्कुरा कर खुश अख्लाकी से बात करना भी कैसा अच्छा है, सबको अच्छा मालूम होता है ऐसे
लोगों की तारीफ की जाती है, और अल्लाह तआला उनके सब काम आसानी से बना देते हैं, अल्लाह तआला इसके लिए क़ुरआन मजीद में फ़रमाते हैं:-Islam ki Khoobsurt Bate.

तर्जुमा:-और हर शख़्स से बात अच्छी तरह किया करो,

जब कोई शरीर शख़्म तुम से ख़्वाह मख़्वाह लड़ने लगे और उलझने लगे तो उससे तुम भी लड़ना शुरु न करो, वर्ना तुम में और उसमें क्या फर्क रहा अल्लाह तआला इसके मुतअल्लिक क़ुरआन मजीद में फ़रमाते हैं:-

तर्जुमा :-और जब तुम से कोई जाहिल अड़ जाए तो उसको सलाम कह कर चले जाओ।(सूरतुल फुर्कान प. 19 आयत 63)

जब तुम से कोई दुश्मनी करे, अदावत करे, तुम्हारे से कोई बुराई करे तो इसका जवाब दुश्मनी और बुराई से मत दो उसके साथ सुलूक करो और मुहब्बत करो तो वह तुम्हारा पक्का दोस्त बन जाएगा, अल्लाह तआला इसके मुतअल्लिक कलाम मजीद में फ़रमाते हैं:-

तर्जुमा :-आप नेक बरताव से बदी को टाल दीजिए फिर यकायक आपमें और जिस शख़्स में अदावत थी ऐसा हो जाएगा जैसे कोई दोस्त होता है।(सूरह हामीम सज्दा प. 24 आयत 34 )Islam ki Khoobsurt Bate.

पीठ पीछे किसी की बुराई करना कैसी बुरी बात है इससे बहुत-बहुत ख़राबीयां पैदा होती हैं और दुश्मनी काइम हो जाती है और कोई फाइदा हासिल नहीं होता इसको गीबत कहते हैं, क़ुरआन मजीद में ग़ीबत करने वालों को कहा गया है ऐसा है जैसा अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाया, क्या तुम में से कोई इस बात को पसंद करेगा कि अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाए, सलाम करने की अहमियत। 

सुनो फ़रमायाः- तर्जुमा :- क्या तुम में से कोई इस बात को पसंद करता है कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए इसको तो तुम नागवार समझते हो अल्लाह से डरते रहो बेशक अल्लाह बड़ा तौबा कबूल करने वाला है।(सूरतुल हुजरात प. 26 आयत 12 )

सलाम करने के मुतअल्लिक बड़ी ताकीद आई है, जब हम अपने घरों में जायां करें या किसी से मुलाकात किया करें तो अस्सलामु अलैकुम कहना चाहिए, यानी तुम पर अल्लाह की सलामती हो जिस पर अल्लाह की सलामती हो जाए उसको फिर और क्या चाहिए इसके एलावा और किसी तरह सलाम हरगिज़ नहीं करना चाहिए।

अल्लाह तआला क़ुरआन मजीद में फ़रमाते हैं:-

तर्जुमा :-ताकि तुम फिर यह भी मालूम कर रखो कि जब तुम अपने घर- वालों में जाया करो तो अपने लोगों को सलाम कर लिया करो जो कि दुआ के तौर से ख़ुदा की तरफ से मुकर्रर है बरकत वाली उम्दा चीज़ है। इसी तरह अल्लाह तआला तुमसे अपने अहकाम बयान फरमाता है समझो और अमल करो ।(सूरतुन्नूर प. 18 आयत 61 )Islam ki Khoobsurt Bate.

हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने भी सलाम करने की बहुत ताकीद की है। हज़रत ओवैस करनी का वाक्या।

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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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