हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का किस्सा।Hazrat younus (a.s)aur machli ka kissa.

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अल्लाह ने अपने बन्दों की हिदायत के लिए जिन नबियों को दुनिया में भेजा उनमे से एक हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम भी हैं। जो मछली वाले नबी के नाम से मशहूर हैं। क्यूंकि आपने 40 दिन मछली के पेट में गुज़ारे थे। चलिए जानते हैं की आखिर क्यों हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली वाले नबी कहा जाता हैं?

अल्लाह ने आपको लोगो की हिदायत के लिए नबी बनाकर भेजा उस वक़्त आप इराक का एक शहर नैनवा में नबी बनकर आये। मतलब अल्लाह ने आपको नैनवा शहर के लिए नबी चुना।

आपका काम था लोगो को हिदायत देना उन्हें एक अल्लाह को मानने पर राज़ी करना और बुतपरस्ती से उनका ध्यान हटाना। आप ने आपके शहर की बस्ती के लोगों को एक अल्लाह की इबादत का पैगाम दिया और बुतपरस्ती के लिए मना किया

लेकिन वहाँ के लोगों ने आपकी एक बात नहीं मानी और उन्होंने आप को बहुत परेशान किया नतीजतन उन्होंने अपना शहर छोड़ने का फैसला कर लिया और लोगों को बोला की मैं यहाँ से जा रहा हूँ लेकिन अगर तुमने बुतपरस्ती को नहीं छोड़ा तो बहुत जल्द इस शहर पर अल्लाह का बहुत बड़ा अज़ाब आएगा।

ये कह कर आप यानि हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम अपनी बस्ती से निकल गए और दूसरे देश जाने के लिए कश्ती पर सवार हो गए। लेकिन कश्ती कुछ देर बाद बीच नदी में पहुंची तो डूबने लगी तो मल्लाह ने कश्ती में बैठे लोगों से फ़रमाया ! जब कोई गुलाम अपने मालिक से भागकर हमारी कश्ती में आ बैठता हैं तो कश्ती डूब जाती हैं चूँकि आप हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम भी अल्लाह को बताये बिना अपने शहर से भाग निकले थे।

मल्लाह के मुताबिक आज भी कुछ ऐसा ही मालूम हो रहा हैं मल्लाह ने लोगों से कहा जो भी अपने मालिक से भाग कर जा रहा हैं वह दरिया में कूद जाये ताकि दूसरे मुसाफिरों की जान बचायी जा सके।

मल्लाह की बात सुनकर आपने फ़रमाया अपने मालिक से भगा हुआ गुलाम में ही हूँ इसलिए मुझे पानी में डाल दिया जाये।आपने कश्ती पर सवार सभी लोगों से वापिस कहा की मैं अल्लाह के हुक्म के बगैर ही कौम वालों के सितम से तंग आकर अपना वतन छोड़ कर कहीं और जाने के लिए निकला हूँ।

इतना कहते ही आप पानी में डाल दिए गए पानी में जाते ही अल्लाह ने आपकी हिफाज़त के लिए एक बड़ी मछली को भेजा जो काफी देर तक कश्ती के किनारे चक्कर लगा रही थी। जैसे ही आप यानि हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम पानी में पहुंचे उस मछली ने आपको निगल लिया।

अल्लाह ने मछली से फ़रमाया जिसको तूने निगला है वह तेरी रोज़ी नहीं हैं बल्कि मैंने अपने नबी को तेरे पेट में उनकी हिफाज़त के लिए पहुँचाया हैं।

उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। चुनाँचे आप 40 दिनों तक उस मछली के पेट में रहे। अल्लाह मछली का पेट इस तरह कांच की तरह साफ कर दिया था की आप आप मछली के पेट में रहते हुए भी समंदर के अंदर की हर चीज़ देखते और अल्लाह की तस्बीह बयां फरमाते रहे।

आप मछली के पेट में रहते हुए ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिन अज़ ज़ालिमिन पढ़ते रहे। इस तस्बीह की बरकत से अल्लाह करीम ने आप की सारी मुश्किल आसान फ़रमा दी और इसकी बदौलत आपको 40 दिनों तक हर वक़्त सुकून मिलता रहा।

फिर मछली को अल्लाह की तरह से हुक्म आया की जहाँ से तूने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को निगला था उन्हें वही जाकर अपने मुँह से उन्हें निकाल दे। अल्लाह ने फ़रमाया !
अब मैं उनसे खुश हूँ। वह यानि हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम अल्लाह के दिए इम्तेहान में पास हो गए थे।

अल्लाह का हुक्म पाते ही मछली ने आपको किनारे पर उगल दिया उस किनारे पर अल्लाह ने आप के रहने के लिए एक पेड़ पैदा फ़रमा दिया और आप की खुराक के लिए एक हिरनी को आपको दूध पाने के लिए कह दिया।

कुछ दिनों बाद आप अपनी बस्ती की तरफ फिर लौटे। तब वहाँ पर आपको एक ग्वाला मिला आपने उस ग्वाले से से फ़रमाया की यहाँ पर कोई अज़ाब आया था क्या?

उस ग्वाले ने आपसे फ़रमाया की यूनुस नाम के एक शख्स ने काफी दिनों पहले एक बात कही थी की अगर बुतपरस्ती यहाँ के लोगो ने नहीं छोड़ी तो इस शहर पर अल्लाह का बहुत बड़ा अज़ाब नाज़िल होगा।

आपने उस ग्वाले से फ़रमाया की क्या ऐसा हुआ था? ग्वाले ने कहा की जब वह शख्स यानि हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम जब बस्ती से रात को निकले तो अगले दिन पुरे शहर में बदल छा गए थे और चारों तरफ धुआँ ही धुआँ हो गया था।

ऐसा लग रहा था जैसे अज़ाब आने वाला हैं। उस वक़्त हमे लगा की यूनुस की बात बिलकुल सही थी। तब सारे शहर के काफी लोग अपना सारा सामान और अपने परिवार को लेकर शहर छोड़ रहे थे

और अल्लाह से दुआ कर रहे थे की अल्लाह उन्हें माफ़ कर दे। उस वक़्त वहाँ के लोगों ने अल्लाह से दुआ की के अब शहर का कोई भी आदमी बुतपरस्ती नहीं करेगा और कुछ ही देर में सारे बदल छंट गए और धुआँ एकदम से गायब हो गया।

मतलब अल्लाह ने वहाँ के लोगों को माफ़ कर दिया था। यह सुनकर आप हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने ग्वाले से फ़रमाया की जिस यूनुस की तुम बात कर रहे हो वह मैं ही हूँ।

यह सुनकर ग्वाला आप के कदमो में झुक गया और आपसे माफ़ी मांगने लगा। इस तरह आप वापिस अपने शहर की तरफ लौटे उसके बाद आपने वहाँ पर इस्लाम का परचम लहराया और वहाँ के सभी लोगों को एक अल्लाह की इबादत के लिए बताया।

इस बयान को अपने दोस्तों और जानने वालों को शेयर करें।ताकि दूसरों को भी आपकी जात व माल से फायदा हो और यह आपके लिये सदका-ए-जारिया भी हो जाये।
क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।

खुदा हाफिज…

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