01/06/2025
हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु की खिलाफत। 20250509 010449 0000

हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु की खिलाफत। Hazrat Ali Raziallahu anhu ki khilafat.

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Hazrat Ali Raziallahu anhu ki khilafat.
Hazrat Ali Raziallahu anhu ki khilafat.

सैयदना उस्मान गनी रजियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद ही बलवाई बुरी तरह से मदीना मुनव्वरा पर छा गये थे। ऐसा लगता था कि मदीना पर उन्हीं की हुकूमत है। बलवाइयों का लीडर गाफकी बिन हरब ही का हुक्म मदीना पर चलता था और वही इमामत भी करता था। शहर के मोक्तदिर हज़रात अपनी जान व आबरू बचाने के लिए घरों में मोअतकिफ थे।

अब्दुल्लाह बिन सबा यहूदी जो इस फित्ना का अजीम लीडर भी था मदीना आ पहुँचा था और उसने मज़ीद हंगामें बरपा कराने के लिए बलवाइयों को उभारना शुरू कर दिया था।

मदीना के लोग बलवाइयों की शरारत से तंग आ चुके थे। मोअज़्ज़िीन मदीना बिल आखिर हज़रत अली, हज़रत तलहा और हज़रत जुबैर के पास अलग अलग हाज़िर हुए और इन बुजुर्गों से दरख्वास्त की कि आप खिलाफ्त कुबूल फरमायें लेकिन इन सबने खिलाफत कुबूल करने से इन्कार कर दिया।

इसी दौरान अब्दुल्ला बिन सबा यहूदी के उकसाने पर बलवाइयों ने यह शरारत आमेज़ एलान करा दिया! हम बाशिन्दगाने मदीना को मोतनब्बेह करते हैं कि अगर उन्होंने दो दिन के अन्दर नया खलीफा मुन्तख़ब न कर लिया तो हम दो दिन के बाद अली, तलहा, जुबैर तीनों को कत्ल कर देंगे और जिसको चाहेंगे खलीफा बना लेंगे।

अब्दुल्ला इब्न सबा ने यह एलान यह सोच कर कराया था कि मुसलमानों के बाहमी इख़्तेलाफ की वजह से दो दिन के अन्दर खलीफा का इन्तेखाब नामुमकिन है। जब दो दिन गुज़र जायेंगे तो पहले तो बलवाइयों को उकसा कर उन तीनों मुक्तदिर हज़रात का खात्मा करा देगा। उसके बाद अपने मतलब का खलीफा चुन लिया जायेगा जिसे कठपुतली बना कर जिस तरह चाहेंगे नचायेंगे।

इस ख़तरनाक एलान के बाद मुसलमानों में सरासेमगी पैदा हो गयी थी। वह घरों से निकल कर हज़रत अली, तलहा, जुबैर के पास जा पहुँचे और खिलाफत कुबूल करने पर बड़ा ज़ोर दिया। हज़रत तलहा व जुबैर ने यह सोचकर कि कहीं बलवाइयों के हाथों उनका भी वही अन्जाम न हो जो हज़रत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु का हुआ है खिलाफत के कांटों भरे ताज को कुबूल करने से इन्कार कर दिया।हज़रत अली रज़िअल्लाहो अन्हो की ज़िन्दगी। Hazrat Ali Raziallahu anhu ki zindagi.

हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु भी शुरू में इन्कार करते रहे लेकिन जब सहाबा केराम और अहले मदीना ने उन्हें मजबूर कर दिया तो वह इस ज़िम्मेदारी को कुबूल करने के लिए तैयार हो गये।

हज़रत अली जब मुसलमानों से बैअत करने के लिए 25 जिलहिज्जा 35 हिजरी को मस्जिदे नबवी में तशरीफ ले आये तो मस्जिदे नबवी मुसलमानों से खचा खच भरी हुई थी मगर हज़रत तलहा व जुबैर तशरीफ़ न रखते थे। उन्हें बुलवाया गया और मौलाये कायनात ने उन दोनों हज़रात से फरमाया कि आप में से जो भी खिलाफत का ख्वाहिशमन्द हो मैं उनके हाथ पर बैअत करने के लिए तैयार हूँ लेकिन दोनों हज़रात इन्कार करते रहे तो फिर लोगों ने उन दोनों से मोतालबा किया कि आप हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु के हाथ पर बैअत कीजिए।

उन्होंने कहा कि हम बैअत करने के लिए तैयार हैं लेकिन अली यह वादा करें कि किताबुल्लाह व सुन्नते रसूल पर चलेंगे और कातिलाने उस्मान से ज़रूर इन्तेकाम लेंगे। हजरत अली रज़ियल्लाहु अन्हु ने इन बातों का इकरार किया। अब उनके लिए कोई राह मज़र न थी लेहाज़ा पहले हजरत तलहा ने और उसके बाद हज़रत जुबैर ने हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के हाथ पर बैअत कर ली।

फिर क्या था हजारों मुसलमान बैअत के लिए टूट पड़े जिनमें बलवाई भी शामिल थे। खिलाफत के तीसरे दिन हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने एलान कराया कि मिस्र, कूफा, बसरा और दूसरे सूबों से आये हुए आराब फौरन ही मदीना से वापस चले जायें।

लेकिन अब्दुल्लाह इब्न सबा के कहने पर तमाम बलवाइयों ने इस हुक्म के मानने से इन्कार कर दिया और अब तक जो बलवाई हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु के आशिक बने हुऐ थे अब उनके दुश्मन हो गये और एक नया फित्ना उन्होंने डाल दिया।

चूँकि हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की हुकूमत अभी मुस्तहकम न हो सकी थी और न ही बाहर से फौजें आयीं थीं इसलिए हज़रत अली को खामोश होना पड़ा।

हज़रत तलहा व हज़रत जुबैर ने यह चाहा था कि हमें कूफा व बसरा का आमिल बना दिया जाय जिसको मसलेहतन हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु ने नहीं माना था। इस लिए इन दोनों हज़रात को हज़रत अली की जानिब से रन्जिश बढ़ गयी थी और दोनों कुबैदा खातिर हो गये थे।

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे, हमे एक और नेक बनाए, सिरते मुस्तक़ीम पर चलाये, हम तमाम को नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और इताअत की तौफीक़ आता फरमाए, खात्मा हमारा ईमान पर हो। जब तक हमे ज़िन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे, आमीन ।

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क्या पता अल्लाह ताला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए । आमीन ।

खुदा हाफिज…

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