कुछ लोग औरत को हालते हैज़ (माहवारी) में जब तक वोह पाक नहीं होती तब तक एैसा नापाक और अछूत समझ लेते है, कि उस के हाथ का खाना उस के हाथ का छूवा पानी और खाना, वग़ैरा खाने पीने से एतराज़ करते हैं यहाँ तक कि उस के साथ बैठना भी छोड़ देते है ।
ऐसे लोगों के बारे में शहजादा-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़मे हिन्द रहमतुल्लाह तआला अलैह अपने फतवे में इरशाद फरमाते है कि- “जो लोग ऐसा करते है वोह ना जाइज़ व गुनाह का काम करते है और मुशरेकीन, यहूद और आग की पूजा करने वाले काफिरों की रस्मे मरदूद की पैरवी करते है । हैज की हालत में सिर्फ शर्मगाह में सोहबत करना ना जाइज़ है ।
बस इस से परहेज़ ज़रूरी है मुशरेकीन व यहूद और मजूस आग की पूजा करने वाले काफिरों की तरह हैज़ वाली औरत को भंगिन (मेहतर) से भी बत्तर समझना बहुत ना पाक ख्याल, निरा, ज़ुल्म, बहुत बड़ा वबाल है यह उन की मन घड़त है। (फ़्तावा-ए-मुस्तफविया, जिल्द 3 सफा नं 13)Halate Haiz me Aurat achut kyun.
मस्अला : हालते हैज़ में सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह हराम व ना जाइज है लेकिन औरत का बोसा (चुम्मन) ले सकते है। ख़बरदार बात चूम्मन (Kiss) तक ही रहे उससे आगे सोहबत तक न पहुँच जाए ।
इसी तरह एक ही पिलेट में साथ खाने पीने यहाँ तक कि उस का झूठा खाने पीने में भी कोई हर्ज नहीं । गर्ज़ कि औरत से वैसा ही सुलूक रखे जैसा आम दिनों में रहता है। लेकिन एक बार फिर हम आप को आगाह कर देते हैं कि किसी भी हालत में औरत की शर्मगाह में सोहबत न करे । (तलखीज़ :- तिर्मिजी शरीफ, जिल्द 1, सफा 136 )
मस्अला :- हालते हैज़ में औरत के साथ शौहर का सोना जाइज़ है । और अगर साथ सोने में शहवत (Sex) का गलबा और अपने आपको काबू में न रखने का शक हो तो साथ न सोए । और अगर पक्का यकीन हो तो साथ में सोना गुनाह नहीं है ।Halate Haiz me Aurat achut kyun.
हैज़ के बाद सोहबत कब करें :-
हमारे इमाम, इमामे आज़म अबू हनीफा रजि अल्लाहो तआला अन्हो के नज़दीक, हालते हैज़ में जब औरत से खून दस दिनों के बाद आना बन्द हो जाए तो गुस्ल से पहले भी सोहबत करना जाइज़ है लेकिन बेहतर है कि औरत जब गुस्ल कर ले उस के बाद ही सोहबत की जाए ।
हदीस : हज़रत सालिम बिन अब्दुल्लाह और हज़रत सुलेमान बिन यसार से हैज़ वाली औरत के बारे में पूछा गया -“क्या उस का शौहर उसे पाक देखे तो गुस्ल से पहले सोहबत कर सकता है या नहीं” ? दोनों ने जवाब दिया “न करे यहाँ तक कि -वोह गुस्ल कर ले । (मोता इमाम मालिक, जिल्द 1, बाब नं. 26, हदीस नं. 90, सफा 79)
मस्अला :- दस दिन से कम में खून आना बन्द हो गया तो जब तक औरत गुस्ल न करे सोहबत जाइज़ नहीं । (बहारे शरीअत, जिल्द 1, हिस्सा नं. 2, सा नं. 74)Halate Haiz me Aurat achut kyun.
मस्अला :- आदत के दिन पूरे होने से पहले ही हैज़ का खून आना बन्द हो गया तो अगरचे औरत गुस्ल कर लें सोहबत जाइज़ नहीं, मसलन किसी औरत की हैज़ की आदत चार दिन व रात थी और इस बार हैज़ आया तीन दिन व रात तो चार दिन व रात जब तक पूरे न हो जाए सोहबत जाइज़ नहीं ।(बहारे शरीअत, जिल्द 1, हिस्सा नं. 2 सफा नं. 47 )
मस्अला :- औरत को जब हैज़ का खून आना बन्द हो जाए तो उसे गुस्ल करना फ़र्ज़ है ।
हैज़ से पाक होने का तरीका :-
ऊम्मूल मोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीका रोअल्लाहो तआला अन्हा से रिवायत है कि–एक औरत ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैह व सल्लम से हैज़ के गुस्ल के बारे में पूछा । आप ने उसे बताया- “यूँ गुस्ल करे” । और फिर फरमाया- “मुश्क (कस्तूरी) से बसा हुआ रूई का फाया ले और उस से तहारत हासिल कर” ।
वोह समझ न सकी और कहा- “किस तरह तहारत करूँ” ? फरमाया- “सुबहानल्लाह उस से तहारत करो” । हज़रत आएशा(र.अ)फरमाती है “मैं ने उस औरत को अपनी तरफ खीच लिया और उसे बताया कि उसे खून के मुकाम पर फेरे” ।(बुख़ारौ शरीफ, जिल्द 1 बाब नं. 215, हदीस नं. 305, सफा नं 201 ) Halate Haiz me Aurat achut kyun.
नोट :- इस ज़माने में मुश्क मिलना मुश्किल है इसलिए उस की जगह इतर या गुलाब पानी का फाया लें ।
इस हदीसे पाक से मअलूम हुआ कि हैज़ का खून जब आना बन्द हो जाए तो औरत जब गुस्ल करने बैठे तो पहले रूई (कपास, Cotton) को इतर वग़ैरा की खुशबू में बसा ले फिर उसे खून के मकाम (शर्मगाह) पर अच्छी तरह फेरे ताकि वहाँ की सारी गन्दगी साफ हो जाए फिर उसके बाद गुस्ल कर ले ।
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क्या पता अल्लाह तआला को हमारी ये अदा पसंद आ जाए और जन्नत में जाने वालों में शुमार कर दे। अल्लाह तआला हमें इल्म सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए ।आमीन।
खुदा हाफिज…