
एक शख़्स ने शैतान को देखा जो अपनी उंगली को उठाए जा रहा था। उस शख़्स ने शैतान से कहा कि तुम यह अपनी उंगली उठाए हुए क्यों जा रहे हो? शैतान ने कहा मैं उंगली से भी बड़ा काम निकालता हूँ यह जो लोग आपस में लड़ते झगड़ते और फितना व फ़साद करते फिरते हैं।
उंगली का खेल होता है, उस शख़्स ने कहा यह बात कैसे हो सकती है शैतान ने कहा चलो मैं तुम को दिखाऊँ यह सामने जो शहर है इसे यह मेरी उँगली थोड़ी देर में तबाह व बरबाद कर देगी मैं सिर्फ अपनी यह उँगली लगउँगी। उसके बद लड़ना भिड़ना, कत्ल व गारत लोग खुद ही शुरू कर देंगे, यह बात कह कर शैतान शहर के अन्दर आया बड़े बाज़ार में एक हलवाई मिठाई बनाने के लिए चीनी घोल कर शीरा बनाने के लिए उसे बड़े बरतन में गरम कर रहा था, शीरा उबल रहा था शैतान ने कहा, अब देखना मेरी उंगली क्या काम करने लगी है।
शैतान ने शीरा में अपनी उंगली डालकर थोड़ा सा शीरा निकाला और उसे दीवार पर चिपका दिया उसके बाद शैतान ने कहा, अब देखो यह शहर तबाह होने वाला है उस दीवार पर लगे हुए शीरे पर मक्खियाँ आ बैठीं मक्खियों को देख कर एक छिपकिली उन मक्खियाँ पर झपटने के लिए दीवार पर नमूदार हुई हलवाई की एक बिल्ली थी, उस बिल्ली ने छिपकिली को देखा तो वह छिपकिली पर झपटने को तैयार हो गई दो फौजी बाज़ार से गुज़र रहे थे।
उनके साथ उनका कुत्ता भी था, कुत्ते ने बिल्ली को देखा तो कुत्ते ने एक दम बिल्ली पर हमला कर दिया, बिल्ली भागने के लिए उछली, तो अचानक उबलते हुए शीरे में जा गिरी और मर गई, हलवाई ने अपनी बिल्ली को मरते देखा तो उसने कुत्ते को मार डाला फैज़ियों ने अपना कुत्ता मरते देखा तो उन्होंने हलवाई को मार डाला, हलवाई के अज़ीजों को पता चला तो उन्होंने फौज़ियों को मार डाला, फौज़ को जब अपने दो फौज़ियों के मारे जाने का इल्म हुआ, तो सारी फौज ने आकर शहर को तहस नहस कर दिया।
शैतान ने कहा देखा जनाब! मेरी उंगली का करिश्मा?
मैंने सिर्फ अपनी उंगली ही लगाई थी उसके बाद यह लोग लड़े मरे खुद हैं।(मुगनियुल-वाइज़ीन सः 170)
इस से पता चलता है कि हर फितना व फसाद और शरारत का मुहर्रिक यह शैतान मलऊन है, यह मलऊन अपनी उंगली पर अपने मुरीदों को नच रही है आज कल मगरिबी बरतन में जो नई तहज़ीब का ‘शीरा’ तैयार हुआ है उस मलऊन ने यह शीरा भरी उंगली जहाँ भी लगा दी, समझ लिजीए वहीं फितना व फसाद शुरू हो गया, इस नई तहज़ीब के शीरे पर उर्यानी व फहहाशी की मक्खियाँ जमा होती है।
खूबसूरत वाक़िआ:-शैतान की तीन रातें और आयतुल-कुर्सी का राज़।
और किसी कोने से फैशन की छिपकिली भी निकल आती है और फिर बद निगाही की बिल्ली भी नमूदार हो जाती है उस के बाद सब आपस में मुकद्दमा बाज़ियाँ, लड़ाईयाँ, कत्ल व गारत शुरू हो जाता है और शैतान खुश हो जाता है कि मेरी उंगली काम कर गई!
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….