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30/09/2025
फ़रिश्तों का बयान 20250928 140657 0000

फ़रिश्तों का बयान | Farishton ka bayan.

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Farishton ka bayan.
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फ़रिश्ते नूरी हैं। अल्लाह तआला ने उन को यह ताक़त दी है कि जो शक्ल चाहें बन जायें फ़रिश्ते कभी इन्सान की शक्ल बना लेते हैं और कभी दूसरी शक्ल में।

अकीदा :- फ़रिश्ते वही करते हैं जो अल्लाह का हुक्म होता है। फरिश्ते अल्लाह के हुक्म के खिलाफ कुछ नहीं करते। न जान बूझ कर,न भूले से और न गलती से। क्यूँकि वह अल्लाह के मासूम बन्दे हैं और हर तरह के सगीरा और कबीरा यानी छोटे-बड़े गुनाहों से पाक हैं।

अकीदा :- फरिश्तों के ज़िम्मे अलग अलग काम हैं। कुछ वह हैं कि जिनके ज़िम्मे नबियों के पास ‘वहीं’लाने का काम किया गया। कोई पानी बरसाता कोई हवा चलाता है कोई रोज़ी पहुँचाता है कोई माँ के पेट में बच्चे की सूरतें बनाता है कोई इन्सान के बदन में कमी बेशी करता है कुछ वह फरिश्ते हैं जो इन्सान की दुश्मनों से हिफाज़त करते हैं।

कुछ वह हैं जो अल्लाह व रसूल का ज़िक्र करने वालों के मजमे को तलाश करके उस मजमे में हाज़िर होते हैं। किसी के मुतअल्लिक इन्सान के आमाल नामा लिखने का काम कुछ वह हैं जो सरकारे रिसालत अलैहिस्सलाम के दरबार में हाज़िरी देने का काम करते हैं।

किसी के मुतअल्लिक सरकार की बारगाह में मुसलमानों की सलातु सलाम पहुँचाने का काम है। किसी के ज़िम्मे मुर्दों से सवाल करने का काम है कोई रूह कब्ज़ करता है। कुछ अज़ाब देने का काम करते हैं। किसी के ज़िम्मे सूर फूकने का काम है। इनके अलावा और भी बहुत से काम हैं जो फरिश्ते अन्जाम देते हैं।

इसके बावजूद यह फ़रिश्ते न तो कदीम हैं और न खालिक। बल्कि सब मखलूक हैं। फरिश्तों को कदीम या खालिक मानना कुफ्र है। फरिश्ते न मर्द हैं न औरत।

अकीदा :- फरिश्ते अनगिनत हैं उनकी गिनती वही जाने जिसने उन्हें पैदा किया है और अल्लाह के बताये से उसके प्यारे महबूब जानते हैं वैसे चार फरिश्ते बहुत मशहूर हैं

(1) हज़रते जिब्रईल अलैहिस्सलाम

(2) हज़रते इसराफील अलैहिस्सलाम

(3) हज़रते मीकाईल अलैहिस्सलाम

(4) हज़रते इजराईल अलैहिस्सलाम

यह फरिश्ते दूसरे सारे फिरिश्तों से अफज़ल हैं। किसी फ़रिश्ते के साथ कोई हल्की सी गुस्ताखी भी कुफ्र है। जाहिल लोग अपने किसी दुश्मन या ऐसे को देखकर जिस पर गुस्सा आये उसे देखते ही कहते है कि ‘मलकुल मौत ‘या ‘इज़राईल’आ गया। लेकिन उन जाहिलों को ख़बर नहीं कि यह कलिमा कुफ्र के करीब है।

खूबसूरत वाक़िआ :-अखलाके हसना।

अकीदा :- फरिश्तों के बारे में यह अकीदा रखना या जुबान से कहना कि फरिश्तों का वुजूद नहीं है या यह कहना कि फरिश्ता नेकी की कुव्वत का नाम है और इसके सिवा कुछ नहीं यह दोनों बातें कुफ्र हैं।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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