
आजकल औरतें अक्सर यह कहती हैं मैंने ऐसी बात की कि अब तो फ्लां औरत जलती रहेगी। यह जलाने वाला लफ़्ज़ आजकल की बातचीत में आम होता जा रहा है। ऐ बहन ! तू उसे नहीं जला रही होती बल्कि इस बात करने की वजह से तो खुद जहन्नम की आग में अपने जलने का बंदोबस्त कर रही होती है।
कुरआन पाक में आता है तर्जुमा : बर्बादी है हर ऐब जो के लिए और ऐब गो के। यह दो अलग-अलग खामियाँ हैं। लोगों ऐब तलाश करने वाले को “ऐब जो” कहते हैं और जब ऐब का पता चल जाए तो लोगों में बातें करने वाले को “ऐब गो” कहते हैं। ऐब जोई भी गुनाह है, ऐब गोई भी गुनाह है।
परवरदिगार आलम ने इस जगह दोनों के बारे में फरमाया कि उसके लिए बर्बादी है जो लोगों के ऐबों को तलाश करता फिरे, या लोगों के ऐबों को आगे बताता फिरे। क्योंकि लोगों की गल्तियों और खामियों को ढूंढने और आगे पहुँचाने से लोगों के दिलों को तकलीफ होती है। लिहाज़ा अल्लाह तआला ने फरमाया, ऐस बंदा जो ऐब जो और ऐब गो होगा क़यामत के दिन अल्लाह तआला फरिश्तों को हुक्म देंगे कि इसको जहन्नम के अंदर आग के बने हुए सतूनों के साथ बांध दिया जाए ताकि यह हिल न सके और फिर जहन्नम की आग को हुक्म होगा कि उसकी लपटें उसकी तरफ बढ़ें।
उसकी लपटें उसकी तरफ बढ़ेंगी और वह इसके दिल को जलाएंगी। फरमाया: जहन्नम की आगे उस बंदे के दिल को जलाएगी जिस तरह वैल्डिंग की आग होती है कि उसको अगर लोहे के ऊपर कहीं रख दें तो उस जगह को जलाकर सुराख कर देती है बिल्कुल इसी तरह जहन्नम की ख़ास आग होती है जो इस आम आग से भी ज़्यादा गर्म होगी और अल्लाह तआला इस आग से जहन्नमी के दिल को जलाएंगे और कहा जाएगा कि ऐ मेरी बंदी! तू दुनिया में अपने मुँह से ऐसी बातें निकालती थी।
कहती थी कि मैंने फलां औरत को जलाया है, मैंने फलां को खूब सड़ाया है, मैंने ऐसी बात की कि वह सड़ती रहेगी। आज देख उसका अज्र, आज देख उसका हश्र, तेरे दिल के ऊपर जहन्नम की आग का कब्ज़ा है। आज यह तुझ पर मुसल्लत है, यह तेरे दिल को जलाएगी। तूने लोगों के दिलों को जलाया, अल्लाह तआला कल जहन्नम के अंदर तेरे दिल को जलाएंगे।
खूबसूरत वाक़िआ:- यौमे आशूरा की फज़ीलत।
अब सौदा तो खुद हम देखें कि कौन सा अच्छा है। या तो दुनिया में दूसरों की गल्तियों को माफ करें ताकि अल्लाह तआला क़यामत के दिन हमें माफ कर दे या फिर दुनिया में लोगों को जलाते फिरें। कल क़यामत के दिन हमारा जिस्म तो जल ही रहा होगा, फिर हमारा दिल भी जलेगा और वहाँ पर कोई फ़रियाद सुनने वाला भी नहीं होगा।
अल्लाह से एक दिली दुआ…
ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।
प्यारे भाइयों और बहनों :-
अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।
क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….