कुर्बानी के मसाइल। Qurbani ke masail.
कुर्बानी कई क़िस्म की है। 1. ग़नी और फ़क़ीर दोनों पर वाजिब, 2. फ़क़ीर पर वाजिब हो ग़नी पर वाजिब ना हो, 3. ग़नी पर …
Islamic Knowledge
कुर्बानी कई क़िस्म की है। 1. ग़नी और फ़क़ीर दोनों पर वाजिब, 2. फ़क़ीर पर वाजिब हो ग़नी पर वाजिब ना हो, 3. ग़नी पर …
नमाज़े फज्र की दो सुन्नत की निय्यत :- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त फ़ज्र का, मुंह मेरा …
मेराज की रात नबी-ए-करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का गुज़र एक ऐसी क़ौम पर हुआ जिनके सामने एक हंडिया में पका हुआ गोश्त रखा हुआ है …
ईमाम जलालुद्दिनस्यूती ने शरहउस्सदूर में लिखा है कि मैय्यत के लिये कुरआन पढ़ने से आया मैय्यत को सवाब मिलता है या नहीं? इसमें इख़्तेलाफ है …
शरीअत ने जिमाअ के लिये कोई खास वक़्त मुकर्रर नहीं किया है। हाँ, बअज़ शरई अवारिज़ की मौजूदगी में जिमाअ करना मना है। जैसेः रोज़ा, …
नमाज़े जनाज़ा की नियत :- नियत की मैंने नमाज़े जनाज़ा पढ़ने की मय चार तकबीरों के, सना वास्ते अल्लाह तआला के, दुरूद शरीफ़ वास्ते रसूलुल्लाह …
अज़ाब दो क़िस्म के होते हैं ज़मीनी और आसमानी । ज़मीनी आफ़तों के लिये तो अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उसूल …
जिमाअ यानी हमबिस्तरी से फारिग होकर मर्दो औरत दोनों अलग-अलग हो जाऐं, फिर किसी साफ कपड़े से दोनों अपने-अपने मकामे मख़्सूस को साफ कर लें। …
कुरान :- अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है: “तुम्हारी औरतें तुम्हारे लिये खेतियां हैं तो आओ अपनी खेतियों में जिस तरह चाहो।” जिमाअ के तरीक़े बहुत …
जिमाअ करना इन्सान की वह तबई और अहम ज़रूरत है जिसके बगैर इन्सान का सही तौर से ज़िन्दगी गुज़ारना मुश्किल बल्कि तकरीबन ना मुम्किन सा …