इतना इल्म सीखना लाज़मी फर्ज़ है।Itna ilm shikhna lazmi farz hai.

Itna ilm shikhna lazmi farz hai.
यहां यह बात भी समझ लेनी चाहिये कि दीन के इल्म की दो किस्में हैं, पहली क़िस्म यह है कि दीन का इतना इल्म सीखना जो इन्सान को अपने फ़राइज़ ...
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ज़िना करने की सज़ा।Zina karne ki saza.

Zina karne ki saza.
अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया-यानी ऐ लोगों तुम जिना के पास भी न भटकना, बेशक वह बड़ी बेहयाई की बात है। फ़ायदा- पास भी न भटकना, इस का मतलब यह ...
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मुसलमान भाइयों के हुक़ूक़।Musalman bhaiyon ke huqok.

Musalman bhaiyon ke huqok.
अल्लाह के रसूल (स० ) फ़रमाते हैं कि- एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। न उस भाई पर ज़ुल्म करे और न किसी मुसीबत में उस का साथ छोड़े। ...
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हज़रत अली रज़ि० का एक क़ब्र पर गुज़र।Hazrat Ali (r.a)ka ek kabr par guzar.

Hazrat Ali (r.a)ka ek kabr par guzar.
कुमैल रजि० एक शख्स हैं, कहते हैं कि मैं हज़रत अली(र.अ)के साथ एक मर्तबा जा रहा था। वह जंगल में पहुंचे, फिर एक मकबरे की तरफ मुतवज्जह हुए और फ़र्माया, ...
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एक मुहाजिर और एक अंसारी की चौकीदारी।Ek muhajir aur ek ansari ki chaukidari.

Ek muhajir aur ek ansari ki chaukidari.
नबी-ए-करीम अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक ग़ज्वे से वापस तशरीफ़ ला रहे थे, शब को एक जगह क्याम फ़र्माया और इर्शाद फर्माया कि आज शब को हिफाजत – चौकीदारी ...
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सूरह अल फातेहा पढ़ने की फज़ीलत।Sureh al fatiha padhne ki fazilat.

Sureh al fatiha padhne ki fazilat.
सूरह अल फातेहा कुरान की पहली सूरह हैं। इसमें कुल 7 आयतें हैं जिसमे अल्लाह के बताये रास्तों पर चलने उसकी ताकत और गुनाहों से माफ़ी की दुआ शामिल हैं। ...
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सदक़ा करने की फज़ीलत।Sadqa karne ki fazilat.

Sadqa karne ki fazilat.
अल्लाह की राह में खर्च करना बड़े सवाब का काम हैं। जो लोग अल्लाह की राह में अपनी दौलत खर्च करते हैं अल्लाह ऐसे लोगों को बहुत पसंद करता हैं। ...
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अस्तग़फिरुल्लाह पढ़ने की फज़िलत।Astagfirullah padhne ki fazilat.

Astagfirullah padhne ki fazilat.
इंसानी फितरत में है की उससे गलती या गुनाह हो जाते है और इसके बाद इंसान अपने किये पर शर्मिंदा हो कर सच्चे दिल से अल्लाह तआला से माफ़ी तलब ...
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माँ-बाप को तकलीफ़ देने की सज़ा।Maa baap ko taqleef dene ki saza.

Maa baap ko taqleef dene ki saza.
अल्लाह रब्बुल-इज्ज़त नें इरशाद फ़रमाया कि- तुम अपने माँ-बाप के साथ अच्छा बर्ताव किया करो। अगर तुम्हारे सामने उनमें एक या दोनों बूढ़े हो जायें तो उनके सामने ‘हूँ’ भी ...
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सतर और परदे का हुक्म।Satar aur parde ka huqm.

Satar aur parde ka huqm
शरीअत में एक हुक्म तो लिबास और सतर का है और ये हुक्म मर्द व औरत दोनों के लिए है। मर्दों के लिए नाफ़ से घुटने तक अपनी बीवी के ...
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