21/08/2025
सूरह कौसर का खास वजीफा। 20250630 153723 0000

सूरह कौसर का खास वजीफा। surah kausar ka khas wazifa.

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surah kausar ka khas wazifa.
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आप ने नमाज़ में सूरह कौसर यानि इन्ना आतैना कल कौसर बार बार पढ़ी होगी और सुनी होगी क्यूंकि ये क़ुरान की सब से छोटी सूरह है और इस में सिर्फ़ तीन ही आयतें हैं इसलिए हर कोई इसे आसानी से याद कर लेता है, तो अब हम यहाँ पर सूरह कौसर के 5 फ़ायदे बयान करेंगे जिसमें आप अपनी ज़िन्दगी का हल तलाश सकते हैं अगर आप बताये गए तरीके से पढ़ें तो,इन्शाअल्लाह

(1) तंगदस्ती और रिज्क़ की परेशानी दूर करने के लिए दो रकात सलातुल हाजत की नियत से नफ्ल नमाज़ पढ़े, और हर रकात में सूरह फ़ातिहा के बाद 7 बार सूरह कौसर पढ़े और फिर सलाम फेरने के बाद ये दुआ 11 बार पढ़े ” अल्लाहुम्मक फ़िनी बि हलालिका अन हरामिका व अग्निनी बि फ़लिका अम्मन सिवाक ” इसके बाद फिर अल्लाह तआला से अपनी तंगी दूर करने और खैर व बरकत का सवाल करे और दुआ करे और ऐसा 41 दिन तक पाबंदी से करते रहे।इंशाअल्लाह ऐसा खैर कसीर हासिल होगा कि घर में ख़ुशहाली का दस्तरख्वान बिछ जायेगा

(2) सर दर्द ठीक करने के लिए :-

तमाम दवाओं और टोटकों के बाद भी सर में दर्द न जाता हो तो सूरह कौसर 7 बार खुद पढ़ कर दम कर ले या कोई दूसरा आदमी मरीज़ पर दम कर दे, ऐसा दो तीन बार कर देने से हर तरह का सर दर्द ख़त्म हो जायेगा, इंशाअल्लाह,

(3) पेट मे दर्द:-

अगर किसी के पेट में दर्द हो या पेट की एक ख़ास बीमारी अल्सर हो जाती है,जिससे पेट में जलन बनी रहती है, तो उस से निजात पाने लिए एक चुटकी नमक ले और 7 बार सूरह कौसर पढ़ कर उस पर दम कर दे,और फिर उसे चाट ले या अगर किसी मरीज़ को दम करके दे दे और वो उसे चाट ले, जैसे एक बार सुबह और एक बार शाम को चाट ले तो इंशाअल्लाह दो तीन दिन में ही पेट की तकलीफ़ दूर हो जाएगी

(4) दुश्मन के ज़ुल्म से बचने के लिए

कोई दुश्मन हो या दुश्मनों का गिरोह हो और वो नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हों या सताते रहते हों तो ऐसे लोगों से बचने के लिए 41 बार सूरह कौसर पढ़ें और 21 दिन तक रोजाना करते रहें इंशाअल्लाह दुश्मन खुद मुश्किल का शिकार हो जायेंगे और सताने से बाज़ रहेंगे।

खूबसूरत वाकिआ:- माँ की ममता।

(5) हर तरह के फ़ायदे और नफ़े के लिए :-

कोई शख्स अगर सूरह कौसर को 313 बार रोज़ाना पढता है, तो किसी किस्म की बीमारी हो,किसी किस्म की ज़रुरत हो, या कैसा भी कोई अंदरूनी या बाहरी दुश्मन हो हर बीमारी और तकलीफ़ से अल्लाह महफूज़ रखेंगे, और तमाम जाएज़ ज़रूरतें पूरी करेंगे और इस में अपनी भी नियत कर सकते हैं अपने बीवी बच्चों की भी नियत कर सकते हैं अपनी नस्लों की भी नियत कर सकते है। और सब को इस वजीफे का फ़ायदा पहुंचा सकते हैं

पढने का तरीक़ा :-

3 मर्तबा दुरूद शरीफ़ उसके बाद सूरह कौसर 313 मर्तबा फिर दुरूद शरीफ़ 3 मर्तबा फिर अल्लाह से दुआ मांगे जिस भी चीज की नियत हो उसका जिक्र करे,इन्शा अल्लाह बहुत जल्द कामयाबी हासिल होगी ।

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
जज़ाकल्लाह ख़ैर….

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