21/08/2025
क़ियामत की 72 निशानियाँ — एक आईना हमारे हालात का 20250609 120500 0000

क़यामत की 72 निशानियाँ। Qayamat ki 72 Nishaniyan.

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Qayamat ki 72 Nishaniyan.
Qayamat ki 72 Nishaniyan.

हज़रत हुजैफा रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि क़ियामत के क़रीब 72 बातें पेश आएंगी :-

(1) लोग नमाज़ें गारत करने लगेंगे… यानी नमाज़ों का एहतिमाम रुख़्सत हो जाएगा। यह बात अगर इस ज़माने में कही जाए तो कोई ज़्यादा ताज्जुब की बात नहीं समझी जाएगी इसलिए कि आज मुसलमानों की ज़्यादा तादाद ऐसी है जो नमाज़ की पाबन्द नहीं है लेकिन हुजूर अक़्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह बात उस वक़्त इरशाद फरमाई थी जब नमाज़ को कुफ्र और ईमान के दर्मियान हद्दे-फाज़िलं क़रार दिया गया था। उस ज़माने में मोमिन कितना ही बुरे से बुरा हो, फासिक़, फाजिर हो, बदकार हो, लेकिन नमाज़ नहीं छोड़ता था, उस ज़माने में आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि लोग नमाज़ें गारत करने लगेंगे।

(2) अमानत बर्बाद करने लगेंगे यानी जो अमानत उनके पास रखी जाएगी उसमें ख़यानत करने लगेंगे।

(3) सूद खाने लगेंगे।

(4) झूट को हलाल समझने लगेंगे यानी झूठ एक फन और हुनर बन जाएगा।

(5) मामूली-मामूली बातों पर खूँ-रेज़ी करने लगेंगे, ज़रा-सी बात पर दूसरे की जान ले लेंगे।

(6) ऊँची-ऊँची बिल्डिंगे बनाएंगे।

(7)दीन बेचकर दुनिया जमा करेंगे।

(8)क़तअ रहमी, यानी रिश्तेदारों से बदसुलूकी होगी।

(9) इंसाफ नायाब हो जाएगा।

(10) झूठ सच बन जाएगा।

(11) लिबास रेशम का पहना जाएगा।

(12) जुल्म आम हो जाएगा।

(13) तलाक़ों की कसरत होगी।

(14) नागहानी मौत आम हो जाएगी यानी ऐसी मौत आम हो जाएगी जिसका पहले से पता नहीं होगा बल्कि अचानक पता चलेगा कि फलां शख़्स अभी ज़िन्दा ठीक-ठाक था और अब मर गया।

(15) ख़यानत करने वाले को अमीन समझा जाएगा।

(16)अमानतदार को ख़ाइन समझा जाएगा यानी अमानतदार पर तोहमत लगाई जाएगी कि यह ख़ाइन है।

(17) झूठे को सच्चा समझा जाएगा।

(18) सच्चे को झूठा समझा जाएगा।

(19) तोहमत-दराज़ी आम हो जाएगी यानी लोग एक-दूसरे पर झूठी तोहमतें लगाएंगे।

(20) बारिश के बावजूद गर्मी होगी।

(21) लोग औलाद की ख़्वाहिश करने के बजाए औलाद से कराहियत करेंगे यानी लोग औलाद होने की दुआएं करते हैं उसके बजाए लोग यह दुआएं करेंगे कि औलाद न हो, चुनांचे आज ही देख लें कि ख़ानदानी मन्सूबा बन्दी हो रही है और यह नारा लगा रहे हैं कि बच्चे दो ही अच्छे।

(22) कमीनों के ठाठ होंगे यानी कमीने लोग बड़े ठाठ से ऐश व इशरत के साथ ज़िन्दगी गुज़ारेंगे।

(23) शरीफों की नाक में दम आ जाएगा यानी शरीफ लोग शराफत को लेकर बैठेंगे तो दुनिया से कट जाएंगे।

(24) अमीर और वज़ीर झूठ के आदी हो जाएंगे यानी सरबराहे हुकूमत और उसके आवान व अन्सार और वज़ीर झूठ के आदी बन जाएंगे और सुब्ह व शाम झूठ बोलेंगे ।

(25) अमीन ख़यानत करेंगे।

(26) सरदार जुल्मपेशा होंगे।

(27) आलिम और नारी बदकार होंगे यानी आलिम भी हैं और कुरआन करीम की तिलावत भी कर रहे हैं मगर बदकार हैं। अल्-अयाज़ बिल्लाह ।

(28) लोग जानवरों की खालों का लिबास पहनेंगे।

(29) मगर उनके दिल मुरदार से ज़्यादा बदबूदार होंगे। यानी लोग जानवरों की खालों से बने हुए आला दर्जे के लिबास पहनेंगे। लेकिन उनके दिल मुरदार से ज़्यादा बदबूदार होंगे।

(30) और ऐलवे से ज़्यादा कड़वे होंगे।

(31) सोना आम हो जाएगा।

(32) चाँदी की माँग होगी।

(33) गुनाह ज़्यादा हो जाएंगे।

(34) अमन कम हो जाएगा।

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम का सब्र।

(35) कुरआन करीम के नुस्ख़ों को आरास्ता किया जाएगा और उस पर नक़्श व निगार बनाया जाएगा।

(36) मस्जिदों में नक्श व निगार किए जाएंगे।

(37) ऊँचे-ऊँचे मीनार बनेंगे।

(38) लेकिन दिल वीरान होंगे।

(39) शराबें पी जाएंगे।

(40) शरई सज़ाओं को ख़त्म कर दिया जाएगा।

(41) लौंडी अपने आक़ा को जनेगी यानी बेटी माँ पर हुक्मरानी करेगी और उसके साथ ऐसा सुलूक करेगी जैसा आक़ा अपनी कनीज़ के साथ सुलूक करता है।

(42) जो लोग नंगे पाँव, नंगे बदन, गैर-मुहज़्ज़ब होंगे वह बादशाह बन जाएंगे। कमीने और नीच ज़ात के लोग जो नस्बी और अख़लाक़ के एतिबार से कमीने और नीचे दर्जे के समझे जाते हैं वह मालिक बनकर हुकूमत करेंगे।

(43) तिजारत में औरत मर्द के साथ शिर्कत करेगी जैसा आजकल हो रहा है कि औरतें ज़िन्दगी के हर काम में मर्दों के शाना-ब-शाना चलने की कोशिश कर रही हैं।

(44) मर्द औरतों की नक़्क़ाली करेंगे।

(45) औरतें मर्दों की नक़्क़ाली करेंगे। यानी मर्द औरतों जैसा हुलिया बनाएंगे और औरतें मर्दों जैसा हुलिया बनाएंगे। आज देख लें नये फैशन ने यह हालत कर दी है कि दूर से देखो तो पता लगाना मुश्किल होता है कि यह मर्द है या औरत है।

(46) गैरुअल्लाह की क़स्में खाई जाएंगी यानी क़सम तो सिर्फ अल्लाह की सिफत की और कुरआन की खाना जाइज़ है। दूसरी चीज़ों की क़सम खाना हराम है लेकिन उस वक़्त लोग और चीज़ों की क़सम खाएंगे जैसे तेरे सर की क़सम ।

(47) मुसलमान भी बगैर कहे झूठी गवाही देने को तैयार होगा। लफ़्ज़ “भी” के ज़रिए यह बता दिया कि और लोग तो यह काम करते ही हैं लेकिन उस वक़्त मुसलमान भी झूठी गवाही देने को तैयार हो जाएंगे।

(48) सिर्फ जान-पहचान के लोगों को सलाम किया जाएगा मलतब यह है कि अगर रास्ते में कहीं से गुज़र रहे हैं तो उन लोगों को सलाम नहीं किया जाएगा जिनसे जान-पहचान नहीं है, अगर जान-पहचान है तो सलाम कर लेंगे हालांकि हुज़ूर अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान यह है कि उसको भी सलाम करो और जिसको तुम नहीं जानते उसको भी सलाम करो। ख़ास तौर पर उस वक़्त जबकि रास्ते में इक्का-दुक्का आदमी गुज़र रहे हों तो उस वक़्त सब आने-जाने वालों को सलाम करना चाहिए। लेकिन अगर आने-जाने वालों की तादाद ज़्यादा हो और सलाम की वजह से अपने काम में खलल आने का अन्देशा हो तो फिर सलाम न करने की भी गुन्जाइश है। लेकिन एक ज़माना ऐसा आएगा कि इक्का-दुक्का आदमी गुज़र रहे होंगे तब भी सलाम नहीं करेंगे और सलाम का रिवाज ख़त्म हो जाएगा। क़यामत की निशानियां 

(49) गैर दीन के लिए शरई इल्म पढ़ाया जाएगा। यानी शरई इल्म दीन के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए पढ़ाया जाएगा। अल्-अयाज़ विल्लाह। और मक्सद यह होगा कि उसके ज़रिए हमें डिग्री हासिल हो जाएगी, मुलाज़िमत मिल जाएगी। पैसे मिल जाएंगे, इज़्ज़त और शोहरत हासिल हो जाएगी इन मक़ासिद के लिए दीन का इल्म पढ़ा जाएगा।

(50) आख़िरत के काम से दुनिया कमाई जाएगी।

(51) माले गनीमत को ज़ाती जागीर समझ लिया जाएगा माले ग़नीमत से मुराद क़ौमी ख़ज़ाना है यानी क़ौमी ख़ज़ाने को ज़ाती जागीर और ज़ाती दौलत समझकर मामला करेंगे।

(52) अमानत को लूट का माल समझा जाएगा। यानी अगर किसी ने अमानत रखवा दी तो समझेंगे कि यह लूट का माल हासिल हो गया।

(53) ज़कात को जुर्माना समझा जाएगा।

(54) सबसे रज़ील आदमी क़ौम का लीडर और क़ाइद बन जाएगा यानी क़ौम में जो शख़्स सबसे ज़्यादा रज़ील और बद-ख़स्लत इंसान होगा उसको क़ौम के लोग अपना क़ाइद, अपना हीरो और अपना लीडर बना लेंगे। कब्र, दोज़ख और जन्नत की झलक।

(55) आदमी अपने बाप की नाफरमानी करेगा।

(56) आदमी अपनी माँ के साथ बद्सुलूकी करेगा।

(57) दोस्त को नुक्सान पहुंचाने से गुरेज़ नहीं करेगा।

(58) बीवी की इताअत करेगा।

(59) बदकारों की आवाजें मस्जिद में बुलन्द होंगी।

(60) गाने वाली औरतों की ताज़ीम और तकरीम की जाएगी। यानी जो औरतें गाने-बजाने का पेशा करने वाली हैं उनकी ताज़ीम और तक्रीम की जाएगी और उनको बुलन्द मर्तबा दिया जाएगा।

(61) गाने-बजाने के और मौसूक़ी के आलात को संभाल कर रखा जाएगा।

(62) रास्ते में शराब पी जाएंगी।

(63) जुल्म को फख्र समझा जाएगा।

(64) इंसाफ बिकने लगेगा यानी अदालतों में इंसाफ फरोख्त होगा, लोग पैसे देकर उसको ख़रीदेंगे।

(65) पुलिस वालों की तादाद बहुत होगी।

(66) कुरआन करीम को नगमा सराई का जरिया बना लिया जाएगा, यानी मौसीक़ी के बदले में कुरआन की तिलावत की जाएगी ताकि इसके ज़रिए तरन्नुम का हज़ और मज़ा हासिल हो और कुरआन की दावत और उसको समझने या उसके ज़रिए अज्र व सवाब हासिल करने के लिए तिलावत नहीं की जाएगी।

(67) दरिन्दों की खाल इस्तेमाल की जाएगी।

(68) उम्मत के आख़िरी लोग अपने से पहले लोगों पर लअन तअन करेंगे यानी उन पर तन्क़ीद करेंगे और उन पर एतिमाद नहीं करेंगे और तन्क़ीद करते हुए यह कहेंगे कि उन्होंने यह बात गलत कही और यह गलत तरीक़ा ‘इख़्तियार किया। चुनांचे आज बहुत बड़ी मख़्लूक़ सहाबा कराम रिज़वानुल्लाहि अज्मईन की शान में गुस्ताखियाँ कर रही है, बहुत-से लोग उन अइम्मा-ए- दीन की शान में गुस्ताखियाँ कर रहे हैं जिनके ज़रिए यह दीन हम तक पहुँचा और उनको बेवकूफ बता रहे हैं कि वे लोग कुरआन व हदीस को नहीं समझे, दीन को नहीं समझे, आज हमने दीन को सही समझा है।

(69) या तो तुम पर सुर्ख़ आंधी अल्लाह तआला की तरफ से आ जाए।

(70) या ज़लज़ले आ जाएं।

(71) या लोगों की सूरतें बदल जाएं।

(72) या आसमान से पत्थर बरसें या अल्लाह तआला की तरफ से कोई और अज़ाब आ जाए। अल्-अयाज़ बिल्लाह ।
अब आप इन अलामात पर ज़रा गौर करके देखें कि यह सब अलामात एक-एक करके किस तरह हमारे मुआशरे पर सादिक़ आ रही हैं और इस वक़्त जो अज़ाब हम पर मुसल्लत है वह दर-हक़ीक़त इन्ही बद्-आमालियों का नतीजा है। (इस्लाही खुतबात, हिस्सा7, पेज 214, दुर्रे मन्सूर, पेज 52, हिस्सा 6)

अल्लाह से एक दिली दुआ…

ऐ अल्लाह! तू हमें सिर्फ सुनने और कहने वालों में से नहीं, अमल करने वालों में शामिल कर, हमें नेक बना, सिरातुल मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ अता फरमा, हम सबको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और पूरी इताअत नसीब फरमा। हमारा खात्मा ईमान पर हो। जब तक हमें ज़िंदा रखें, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

प्यारे भाइयों और बहनों :-

अगर ये बयान आपके दिल को छू गए हों, तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालों तक ज़रूर पहुंचाएं। शायद इसी वजह से किसी की ज़िन्दगी बदल जाए, और आपके लिए सदक़ा-ए-जारिया बन जाए।

क्या पता अल्लाह तआला को आपकी यही अदा पसंद आ जाए और वो हमें जन्नत में दाखिल कर दे।
इल्म को सीखना और फैलाना, दोनों अल्लाह को बहुत पसंद हैं। चलो मिलकर इस नेक काम में हिस्सा लें।
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक़ दे – आमीन।
खुदा हाफिज़…..

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