कुरआन व हदीस की रू से क़ब्र की ज़िन्दगी मौत से लेकर क़यामत तक है हर इंसान का वास्ता इससे पड़के रहेगा।

क़ब्र कहती है कि ऐ दुनिया वालों मैं वह मुकाम हूँ जहाँ पे आके कोई लौट नहीं सकता जहाँ तारीकी ही तारीकी है जहाँ तेरे अमल की रौशन शमा काम आ सकती है।

क़ब्र की एक ज़बान है जिससे वह कहती है कि ऐ इंसान तूने मुझ को क्यों भुला दिया क्या तू मेरे बारे में ना जानता था कि मैं वहशत, गुरबत, कीड़ों मकोड़ों और तंगियों का घर हूँ।

Title 3

हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इंसान के तीन दोस्त हैं उनमें से एक दोस्त कहता है जो तूने राहे खुदा में ख़र्च कर दिया वह तेरा है और जो तेरे क़ब्ज़े में है वह तेरा नहीं है

अब्दुल्लाह बिन ओबैद रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जब मुर्दे के साथ आने वाले चलते हैं तो मुर्दा बैठकर उनके क़दमों की आवाज़ सुनता है और उससे इसकी क़ब्र से पहले कोई हम कलाम नहीं होता

क़ब्र कहती कि इब्ने आदम क्या तूने मेरे हालात ना सुने थे क्या तू मेरी तंगी बदबू हौलनाकी और कीड़ों मकोड़ों से ना डराया गया था तो फिर तूने क्या तैयारी की।

ऐ ज़मीन पर इतरा कर चलने वाले क्या तूने मरने वालों से इबरत हासिल ना की क्या तूने ना देखा कि किस तरह तेरे रिशतेदारों को लोग उठा कर क़ब्रों तक ले गये