हमारा एतकाद है कि जबान से इक़रार दिल से यकीन और अरकान पर अमल करने का नाम ईमान है। ईमान ताअत से बढ़ता है और मासियत से कम होता है
ईमान के मानी
लोगत में ईमान के मानी दिल से किसी चीज़ के तसदीक करने और जिस पर यक़ीन हो उसे हासिल करने के हैं।
इस्लाम की तारीफ़
इस्लाम की तरीफ अगरचे ईमान के साथ की जा सकती है क्योंकि हर ईमान यकीनन इस्लाम है लेकिन हर इस्लाम ईमान नहीं इस लिए कि इस्लाम के मानी मुतीअ और फरमाबरदार होने के हैं
मोमिन होने का दावा
किसी मोमिन के लिए जाएज नहीं कि वह कहे "मैं यकीनन मोमिन हूं" बल्कि कहे मैं इन्शाअल्लाह मोमिन हूं।
किसमत व तक़दीर
हमारा अक़ीदा है कि अल्लाह ने रिज़्क पैदा फरमा कर उस को तकसीम कर दिया जो रिज्क मुकद्दर में कर दिया है उस को न कोई बन्द कर सकता है और न कोई उसका रोकने वाला है।
क़दरिया का नज़रिया
कदरिया (मुअतजला) काइल हैं कि इंसान अपने आमाल का खुद खालिक है अल्लाह उन्हें ग़ारत करे।