आँखें मुबारक

बड़ी और कुदरते इलाही से सुरमगीं और पलकें दराज थीं। आँखों की सफेदी में बारीक सुर्ख डोरे थे।

बीनीए अक़दस

आपकी नाक मुबारक खूबसूरत और दराज़ थी और दरम्यान में उभराव नुमायाँ था। पेशानी कुशादा और चराग की मानिन्द चमकती थी।

गोश मुबारक

हर गोश मुबारक कामिल व ताम थे। कूव्वते बसीर की तरह कूव्वते सेमाअ भी आपको बतरीके खर्क आदत गायत दरजा की अता की थी। आसमान के दरवाजे के खुलने की आवाज़ को भी सुन लेते थे।

दहान मुबारक

फाख रूख़्सार मुबारक हमवार दन्दानहाए पतीसीं से कुशादह और रोशन व ताबाँ। जब आप कलाम फरमाते दन्दानहाए पतीसीं से नूर निकलता दिखाई देता।

आवाज़ मुबारक

तमाम अम्बियाए किराम खूबरू और खुश आवाज़ थे मगर आँहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम उन सब से ज्यादा खूबरू और खुश आवाज़ थे।

जिल्द मुबारक

आपकी जिल्द मुबारक नरम थी। एक वस्फ हुजूर में यह था कि खुशबू लगाये बगैर आप से ऐसी खुशबू आती थी कि कोई खुशबू उसको पहुँच न सकती थी।

अमामा

अमामा का शिमला छोड़ा करते और कभी न छोड़ते। अमामा अकसर सियाहं रंग का होता था। नालैन शरीफ चप्पल की शक्ल की थी।