ईमान

जो शख़्स इस्लाम कबूल करना चाहे उस पर सबसे पहले वाजिब है कि वह कलमए शहादत पढ़े यानी ला इलाहा इल्ललाह मोहम्मदुर्रसूलुल्लाह का ज़बान से इक़रार करे

दीने इस्लाम

अल्लाह तआला के नज़दीक सच्चा दीन इस्लाम है चुनांचे अल्लाह तआला ने फरमा दिया कि यानी बिला शुबा सच्चा दीन अल्लाह के नजदीक इस्लाम ही है।

नौ मुस्लिम के हुकूक

जिस शख्स ने सच्चे दिल से कलमए शहादत पढ़ लिया और इस्लाम में दाखिल हो गया, उसको कत्ल करना, उसकी औलाद को कैद करना

नौ मुस्लिम का गुस्ल

इस्लाम में दाखिल होने वाले शख़्स के लिए गुस्ले इस्लाम वाजिब हो जाता है।

नमाज़

इस्लाम में दाखिल होने वाले पर नमाज़ फर्ज़ हो जाती है इस लिए कि इस्लाम कौल व अमल दोनों का नाम है, जबानी दावा कौल है और अमल उस दावा का सबूत है।

तहारत

जिस्म की तहारत के लिए कुछ फर्ज और कुछ सुन्नतें हैं, इस्लाम में दस फर्ज़ यह हैं

सतरे औरत

किसी पाकीज़ा कपड़े से नाफ से लेकर जानू तक और कन्धों तक छुपाना सतरे औरत है,

नमाज़ पढ़ने के लिए ऐसी जगह होना चाहिए जो नजासत और पलीदी से पाक हो और अगर कोई ऐसी जगह हो जिस पर नजासत हो मगर वह नजासत हवा और आफताब की गर्मी (धूप) से खुश्क हो गई हो तो ऐसी जगह को साफ करके उस पर कपड़ा बिछा कर उस पर नमाज़ पढ़ी जा सकती है।