आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने औरतों पर जो करम फ़रमाया वो इन्सानियत की तारीख में सुनहरी हुरूफ से लिखा जाएगा।

एक सहाबी ने अर्ज कियाः "या रसूलल्लाह ! सबसे ज़्यादा मुझ पर किसका हक है?"

अल्लाह तआला बेनियाज़ है, ज़रा सोचें तो सही ! बन्दों से उसको क्या गरज़ होगी? वो हमारे फाइदे के लिये हमको हुक्म देता है-

तवज्जो फरमाएँ :- अपने अपने घरों में रहें, दौरे जाहिलीयत की तरह बेपर्दा न फिरें। दुपट्टे अपने गिरेबानों पर डाली रहें और गैर मर्दों को अपना सिंगार न दिखाएँ।

हाँ इन रिश्तेदारों पर छुपा सिंगार ज़ाहिर हो जाए तो हरज नहीं मसलन खाविन्द, बाप (दादा परदादा), ससुर, बेटे, भाँजे, भतीजे, बहुत ही बूढ़े और नाबालिग नौकर और नौ-उम्र लड़के।

ख़वातीन ज़रूरत के वक़्त बाहर निकलें तो चादर का एक हिस्सा अपने मुँह पर डाल लें ताकि पहचानी जाएँ कि शरीफ हैं और शरारत करने वाले छेड़ छाड़ न करें।

मुसलमान मर्दों को हुक्म दिया जाए कि वो अपनी निगाहें नीची रखें। मुसलमान औरतों को भी हुक्म दिया जाए कि वो अपनी निगाहें नीची रखें।